कर्नल निजामुद्दीन को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा नहीं, 116 वर्ष की उम्र में खुलवाया बैंक अकाऊंट
नेताजी सुभाषचंद्र
बोस के वाहन चालक रहे निजामुद्दीन को अब सुविधाओं की दरकार है। लोकसभा चुनाव के दौरान
भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने रोहनिया में 8 मई 2014 की जनसभा में आशीष लिए आज वह निजामुद्दीन स्वतंत्रता संग्राम
सेनानी होने का प्रमाणपत्र पाने के लिए सरकार का मुंह ताक रहे हैं। उन्हें स्वतंत्रता
संग्राम सेनानी का दर्जा अभी तक हासिल नहीं हो पाया है। उनका परिवार इसके लिए दफ्तरों
का चक्कर काटकर थक चुका है। वे सेनानी नहीं हैं तो सरकारी सुविधाएं भी नहीं मिलतीं
और मुबारकपुर थाने के ढकवा गांव में मुफलिसी के दिन काटने को मजबूर हैं।
निजामुद्दीन के पिता
इमाम अली सिंगापुर में कैंटीन चलाते थे। वे वर्ष 1940 में घर से भागकर अपने पिता के पास गए था, जहां उनकी मुलाकात नेताजी सुभाषचंद्र बोस से हुई।
नेताजी से मिलने के बाद उनके मन में देशभक्ति का ऐसा जज्बा जागा कि वे उनके संग हो
लिए। नेताजी ने उन्हें अपना निजी चालक नियुक्त किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वर्ष
1969 में निजामुद्दीन बर्मा की
राजधानी रंगून से आजमगढ़ आए और तब से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा पाने के लिए
संघर्षरत हैं।
यहां आने के बाद उन्होंने
आजमगढ़ शहर के बाबूराम अग्रवाल के यहां 170 रुपये मासिक वेतन वाहन चालक की नौकरी की। इस आय से पत्नी, दो पुत्रियों और चार पुत्रों का परिवार पालन मुश्किल
था, बच्चों को पढ़ाना-लिखाना तो
दूर। उनके परिवार में पत्नी अजबुन्निसा,
चार पुत्रों में अख्तर अली,
अनवर अली, मोहम्मद अकरम हैं। सबसे छोटे पुत्र अशरफ का टीबी से निधन हो
गया। परिवार में कोई पढ़ा-लिखा नहीं है, लिहाजा मजदूरी करके गुजर करना मजबूरी है।
उनके पुत्र मो. अकरम
ने कहा कि उन्हें सोमवार को पता चला कि उनके पिता दुनिया के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति हैं।
यह खुशी तब और बढ़ जाएगी, जब उनको सरकार स्वतंत्रता
संग्राम सेनानी का दर्जा दे देगी।
आजमगढ़। अकरम ने बताया
कि वर्ष 2013 में गणतंत्र दिवस
की पूर्व संध्या पर हुए सम्मान समारोह में तत्कालीन जिलाधिकारी प्रांजल यादव ने उनके
पिता निजामुद्दीन को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्ज दिलाने के लिए बायोडाटा मांगा
था। वह बायोडाटा लेकर जिलाधिकारी के पास गए। तब उनसे दो अन्य स्वतंत्रता सेनानियों
की गवाही मांगी गई थी लेकिन कोई गवाह नहीं मिल पाया।
गुमनामी की जिंदगी
जी रहे आजादी के सिपाही निजामुद्दीन का पता वर्ष 2002 में अमर उजाला ने लगाया था। अमर उजाला में खबर छपने से पूर्व
उनके पड़ोसियों को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि वे सुभाष चंद्र बोस के सहयोगी रह
चुके हैं।
कर्नल निजामुद्दीन हमारी धरोहर हैं। मैं उनको स्वतंत्रता संग्राम
सेनानी के साथ अन्य सरकारी सहायता दिलाने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर कर रहा हूं। इसकी
प्रक्रिया शुरू हो गई है। जल्दी ही उन्हें सारी सुविधाएं दिलाई जाएंगी।
-सुहास एलवाई,
डीएम, आजमगढ़
इस बीच उन्होंने 116 वर्ष की उम्र में
बैंक अकाऊंट खुलवाया है। वह रविवार को अपने 116 साल 3 माह और 14 दिन पूरे कर रहे
हैं। बता दें कि उ.प्र. के आजमगढ़ के मुबारकपुर में रहने वाले कर्नल निजामुद्दीन उर्फ
सैफुद्दीन ने 116 साल की उम्र में अपना अकाऊंट एस.बी.आई. की ब्रांच में खुलवाया
है।
यहां उन्होंने प्रूफ
के तौर पर जो वोटर आई.डी. कार्ड दिया है, जिसमें उनका जन्म 1900 में हुआ था। कर्नल
निजामुद्दीन ही सबसे पुराने इंसान मानें जा रहे हैं, जो जिंदा हैं। कर्नल निजामुद्दीन
की पत्नी अजबुनिशा भी 107 साल की हैं। दोनों पति-पत्नी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
में ज्वाइंट अकाऊंट खुलवाया है। ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि किसी शख्स ने 116 साल की उम्र में बैंक
अकाऊंट खुलवाया हो।
Post a Comment